بِسْمِ اللهِ الرَّحْمَنِ الرَّحِيمِ
मेरे प्यारे सरफराज और प्यारी आारफा आस-सलामु-अलैकुम व रहमतुल्लाही व बरकातुहुः सबसे पहले आप दोनों को दिली मुबारकबाद ईद मुबारका अल्लाह तआला इस मुबारक मौके को आपके लिए बरकत, खुशहाली और रहमतों से भर दे. और हर साल इसे और ज्यादा मुसरेतों और कामयाबी का जरिया बनाए, आमीन। इस खुशनुमा मौके पर मैं लंदन से आपके लिए एक छोटी-सी यादगार भेज रही हूँ, जो सिर्फ एक तोहफा नहीं, बल्कि मेरी मुहब्बत, दुआओं और आपके खूबसूरत रिश्ते की ताजगी का इज़हार है। यह तख्ती एक हकीकत बयान करती है-एक ऐसा रिश्ता जो अल्लाह की तरफ से मुकद्दर किया गया, बरकत वाला बनाया गया, और जो आज भी उसी मौहब्बत, वफादारी और एहतराम के साथ कायम है। وَخَلَقْنَاكُمْ أَزْوَاجًا “और हमने तुम्हें जोड़ों में पैदा किया।” (सूरह अन-नबा 78:8) “And We created you in pairs” (Quran 78:8) आलाह तआला ने इंसान को जोड़ों में बनाया, ताकि वे एक-दूसरे के हमसफर बर्ने, एक-दूसरे की ताकत और सहारा बने, और मिलकर अपनी जिंदगी को हस्न और खुशियों से सजाएं। माशा अल्लाह, आपकी जिंदगी इसी आयत का खूबसूरत तर्जुमा है। सरफराज़, तुमने एक जिम्मेदार शौहर होने का हक अदा किया, और आरफा, तुमने इस रिश्ते को बखूबी निभाते हुए अपने घर को सुकून और रहमत से भर दिया। मेरा यह ईद का लोहफा सिर्फ एक निशानी नहीं, बल्कि आपकी इस मोहब्बत भरी जिंदगी का एक लबरुक है। इसे अपने घर में किसी ऐसी जगह रखें, जहां हर रोज इसे देखकर यह एहसास ताजा हो कि निकाह सिर्फ एक अहद (वादा) नहीं, बल्कि अल्लाह की सबसे बड़ी रहसतों में से एक है। अल्लाह तआला कुरान में फरमाता है। يهب لمن يشاء إنانا ويهب لمن يشاء الذكور أو يزوجهم أقرانا وإناثًا ويجعل مَن يَشَاءُ عَلِيمًا اللهُ عَلِيمٌ قَدِيرٌ “वह जिसे चाहता है बेटियाँ देता है, और जिसे चाहता है बेटी से नवाजता है। या दोनों (बेटे और बेटियों) मिलाकर देता है। और जिसे चाहता है औलाद नहीं देता। वह सब कुछ जानने वाला, हर चीज पर कुदरत रखने वाला है।” (सूरह अश-भूरा 42:49-50) यह आयत हमें यह समझाती है कि औलाद देना या न देना सिर्फ और सिर्फ अल्लाह के इडितमार में है। कोई भी इंसान इस मामले में मजबूर नहीं, और न ही यह किसी की काबिलियत या कुसूर की वजह से होता है। अल्लाह तआला हर एक के लिए अलग तकदीर मुकर्रर करता है कुछ को सिर्फ बेटियों देता है, कुछ को सिर्फ बेटे, कुछ को दोनों तरह की औलाद देता है, और कुछ को देर से या किस्मत में नहीं देता। लेकिन यह सब अल्लाह की हिकमत और रहमत के तहत होता है, और उसकी दी गई हर चीज इंसान के लिए सबसे बेहतर होती है, चाहे हमें वह समझ में आए या नहीं। अल्ल्व्ह से हमारी दिली हुआ है कि वह आपको नेक-नसीब औलाद की खुशखबरी अता करे, जो आपके लिए दुनिया और आखिरत में सुकून और सवाब का बायस बने। अगर देर हो रही है, तो उसे सब और खुशी से कबूल करने की तौफीक दे, और आपके लिए बेहतरीन फैसला करे। आमीन, या रब्बुल आलमीना फिर से आप सबको दिल की गहराइयों से ईद मुबारका इंशा अल्लाह, जल्द मुलाकात होगी। आपकी प्यारी फूफी शबनम